Wednesday, May 25, 2011

अमर बेल (परजीवी ) डायरेक्टर्स से पटा हुवा है छालिवुड...

अमर बेल की खासियत होती है वो जिसके सहारे जीवित रहते है उसी को ख़त्म कर देते है। ये उस पेड़ के चारो ओर खूब सूरत सा आवरण तैयार कर देते है इससे एक तो उस पेड़ की पहचान ख़त्म हो जाती है दूसरी बात वह बाहर देख नहीं पाता और वह ख़त्म होजाता है ये पेड़ होते है प्रोडूसर ।
छालिवुड में बहूत से डायरेक्टर्स जिन्होंने फिल्म बनाने के आलावा कोई दूसरा कम नहीं किया है इनका जूनून आज भी सिर्फ फिल्म बनाना है
परन्तु कुछ लोग जिन्हें संयोजक कहना ज्यादा उचित होगा जिनका काम सिर्फ संयोजन करना है इनकी मेहनत यही होती है की ये प्रोडूसर फंसाने में माहिर होते है , ये बड़े बड़े कलाकारों को चयन करते है जिनका नाम होता है ,ये उन्ही से फिल्म का संगीत करवाते है जिसे इनसे बड़े डायरेक्टर ने काम करवाया था ,ये गाना भी उन्ही से गवाते है जिसे इनसे बड़े डायरेक्टर ने गवाया था , ये कैमरा से ले कर पोस्ट प्रोडक्शन भी वहीँ कराते है जहाँ इनसे बड़े डायरेक्टर ने करवाया था ये सब ये इसलिए करते है क्यों की इनकी कोई व्यक्तिगत सोच नहीं होती इन्हें जिन चीजों से मतलब नहीं होता है वो है कहानी , पटकथा, डायरेक्शन , कलाकार की कला की पहचान ,गायक की गायकी और संगीतकार की अच्छी धुन ,
इन सभी बातों के लिए कला की समझ आवश्यक है परन्तु संयोजक इन बातों को समझ नहीं पाता और एक फिल्म के साथ साथ उसके प्रोडूसर को भी ख़त्म क़र देता है और तलाश में निकल पड़ता है नए शिकार की तलाश में ।

Saturday, June 19, 2010

CHHATTISGARI FILM


Jab chhattisgar rajya bana aor uske bad eak film aayi MOR CHHAIYAN BHUIYA , aor fir dao nikal pada film making ka, aor jab mamla garam hota hai to roti sekne walon ki kami nahi hoti hai.

roti sekne walon ne itni roti sek di ki tava hi bhujh gaya.aor chhattisgari film ind. chali gayi gumnami ke andhere me ...................................................................................................................................20009 se eak bar fir film MAYA se mahol bana hai, ab jrurat hai sab mil kar ise majbut karne ki aor aaj sabse achhi bat hai ki hamari nirbharta mumbay se khatm ho chuki hai.